आहे! री ज़िंदगी तेरी माया, मोह में तूने मनुष्यों को फँसाया, समझ ना पाया कोई तेरी काया, अचानक से हँसा... आहे! री ज़िंदगी तेरी माया, मोह में तूने मनुष्यों को फँसाया, समझ ना पाया कोई तेरी...
पट्टी जो लगी थी सामने उसे पिता ने उखाड़ लिया था पट्टी पे लिखे लफ़्ज़ों को पढ़कर मुस्कुरा पट्टी जो लगी थी सामने उसे पिता ने उखाड़ लिया था पट्टी पे लिखे लफ़्ज़ों को पढ़कर म...
किसे लिख रही हूँ भेजना कहाँ हैं मालूम नहीं कुछ किसे लिख रही हूँ भेजना कहाँ हैं मालूम नहीं कुछ
जब लोग बड़े तो होते हैं,पर बड़े नही होते! जब लोग बड़े तो होते हैं,पर बड़े नही होते!
भीड़ में भी तन्हा, रहने की कसम खा ली अपना होकर भी वो अनजान सी बनती है। भीड़ में भी तन्हा, रहने की कसम खा ली अपना होकर भी वो अनजान सी बनती है।
क्योंकि मैं औरत हूँ। क्योंकि मैं औरत हूँ।